खाना खाने की दुआ | Khana Khane Ki Dua

इस्लाम में हर काम को करने के लिए एक खास दुआ होती है, ताकि हम हर काम को दुआ पढ़कर शुरू करें। जिससे हमें उस काम को करने में बरकत और नेकी मिले।
हमारे प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद ﷺ ने हमें खाने-पीने से लेकर सोने-जागने तक हर चीज़ का तरीका सिखाया है। खाना खाना रोज का एक आम अमल है।
इसलिए हमें खाना खाने से पहले और खाने के बाद दुआ पढ़ना चाहिए और हमारे नबी ने जो खाने का सुन्नत तरीका बताया है। उस पर अमल करना चाहिए।
खाना खाने से पहले की दुआ
کھانے سے پہلے کی دُعا
دُعا:
بِسْمِ اللّٰہِ وَعَلٰی بَرَكَةِ اللّٰہِ
ترجمہ:
اللہ کے نام سے (کھاتا ہوں) اور اللہ کی برکت پر۔
खाना खाने से पहले की दुआ
दुआ:
बिस्मिल्लाहि व अला बारकतिल्लाह
अनुवाद:
अल्लाह के नाम से (खाता हूँ) और अल्लाह की बरकत के साथ।
Khana Khane Se Pehle Ki Dua
Dua:
Bismillahi wa ‘ala barakatillah
Meaning:
Allah ke naam se (khata hoon) aur Allah ki barakat ke saath।
अगर बिस्मिल्लाह कहना भूल जाएं
अगर आप खाना खाने से पहले बिस्मिल्लाह कहना भूल जाए और फिर अचानक से याद आ जाए, तो नीचे दिया गया हुआ दुआ पढ़े।
Arabic:
بِسْمِ ٱللَّهِ أَوَّلَهُ وَآخِرَهُ
अरबी तर्जुमा:
– अल्लाह के नाम से, उसकी शुरुआत और आखिर के साथ।
Hindi:
बिस्मिल्लाह अव्वालहु वा आखिरहु
हिंदी मतलब:
– खाना शुरू करते वक़्त बिस्मिल्लाह भूल गया, अब अल्लाह के नाम से खा रहा हूँ जो शुरुआत और आखिर दोनों का मालिक है।
English:
Bismillah awwalahu wa aakhirahu
English Meaning:
– In the name of Allah, at the beginning and the end (of this meal).
खाने के बाद की दुआ
کھانے کے بعد کی دُعا
دُعا:
الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي أَطْعَمَنَا وَسَقَانَا وَجَعَلَنَا مِنَ الْمُسْلِمِينَ
ترجمہ:
تمام تعریفیں اللہ کے لیے ہیں جس نے ہمیں کھلایا، پلایا اور ہمیں مسلمانوں میں سے بنایا۔
खाने के बाद की दुआ
दुआ:
अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी अतअमाना व सक़ाना व जअलना मिनल मुस्लिमीन
अनुवाद:
सब तारीफ उस अल्लाह के लिए है जिसने हमें खाना खिलाया, पानी पिलाया और हमें मुसलमान बनाया।
Khaane Ke Baad Ki Dua
Dua:
Alhamdu lillaahil-ladhi at’amanaa wa saqaanaa wa ja’alanaa minal-muslimeen
Meaning:
Sab tareef Allah ke liye hai jisne humein khilaya, pilaya aur humein Musalmaan banaya.
खाना खाने की सुन्नतें
हमने खाना खाने की दुआ, तो पढ़ लिया। लेकिन हमें खाना खाने के सुन्नतों के बारे में भी पता होना चाहिए। जो हमारे प्यारे नबी करीम ﷺ ने हमें बताया है।
1. खाने से पहले “बिस्मिल्लाह” कहना
🕋 हदीस:
“जब तुममें से कोई खाना खाए, तो ‘बिस्मिल्लाह’ कहे। अगर भूल जाए, तो जब याद आए, कहे:
‘बिस्मिल्लाह अव्वालहु वा आखिरहु’।”
📖 (अबू दाऊद 3767, तिर्मिज़ी 1858 – सहीह)
2. दाहिने हाथ से खाना खाना
🕋 हदीस:
“रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: जब तुम खाना खाओ, तो दाहिने हाथ से खाओ, और जब पीओ, तो दाहिने हाथ से पियो।”
📖 (सहीह मुस्लिम: 2020)
3. अपने सामने से खाना
🕋 हदीस:
एक बार एक बच्चा इधर-उधर से खाने लगा, तो नबी ﷺ ने फरमाया:
“ऐ लड़के! बिस्मिल्लाह कहो, दाहिने हाथ से खाओ, और अपने सामने से खाओ।”
📖 (सहीह बुखारी: 5376, मुस्लिम: 2022)
4. हाथ धोकर खाना
🕋 हदीस:
“रसूलुल्लाह ﷺ ने खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोने को पसंद फ़रमाया।”
📖 (सुनन अबू दाऊद: 3759)
5. खाना गिर जाए तो उठाकर खा लेना
🕋 हदीस:
“जब तुममें से किसी का निवाला गिर जाए, तो उसे उठाकर साफ करके खा ले और शैतान के लिए न छोड़े।”
📖 (सहीह मुस्लिम: 2033)
6. खाने के बाद अल्लाह का शुक्र अदा करना
🕋 हदीस:
“रसूलुल्लाह ﷺ खाने के बाद यह दुआ पढ़ते थे:
‘अल्हम्दु लिल्लाहिल्लज़ी अतअ’मनी हाज़ा व रज़क़नीहि मिन ग़ैरी हव्लिं मिन्नी वला क़ुव्वाह’
यानी: ‘सब तारीफ अल्लाह के लिए है, जिसने यह खाना दिया बिना मेरी ताक़त और कोशिश के।'”
📖 (तिर्मिज़ी: 3458, हसन)
7. जमीन पर बैठकर खाना खाना
🕋 हदीस:
अनस (रज़ि.) कहते हैं: “नबी ﷺ कभी टेक लगाकर खाना नहीं खाते थे।”
📖 (सहीह बुखारी: 5398)
8. तहज़ीब से खाना, हद से ज़्यादा न खाना
🕋 हदीस:
“आदमी को कुछ निवाले काफी हैं जिनसे उसकी पीठ सीधी रहे। अगर खाना ही है, तो पेट का एक तिहाई खाना के लिए, एक तिहाई पानी के लिए, और एक तिहाई सांस के लिए रखो।”
📖 (सुनन तिर्मिज़ी: 2380)
किन बातों से मना किया गया है
- बाएं हाथ से खाना – मना है (सहीह मुस्लिम: 2021)
- झूठ बोलते हुए या गाली देते हुए खाना – शरई तौर पर मकरूह है।
- खाने को बुरा कहना – मना है (सहीह मुस्लिम: 2064)
- हद से ज़्यादा खाना (पेट भरकर खाना) – इस्लाम में नापसंद है।
रसूल उल्लाह ﷺ की हदीस
रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया:
“जब तुम खाना खाओ तो ‘बिस्मिल्लाह’ कहो। अगर भूल जाओ तो जब याद आए, तब कहो – ‘बिस्मिल्लाह अव्वालहु वा आखिरहु’।”
(हदीस: तिर्मिज़ी)
एक और हदीस में है:
“शैतान उस खाने में शरीक होता है जिसमें बिस्मिल्लाह नहीं पढ़ी जाती।”
(हदीस: मुस्लिम)
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नतीजा
इस्लाम में हमें हर काम को अल्लाह के नाम से शुरू करने की तालीम दी जाती है। अगर खाना भी हम सुन्नत और अदब के साथ खाएं, तो वो सिर्फ जिस्म की ग़िज़ा नहीं बल्कि रूहानी बरकत का जरिया भी बन जाता है।
हर मुसलमान को चाहिए कि वो खाना खाने से पहले और बाद की दुआ को याद करे, सुन्नतों पर अमल करे और अपने बच्चों को भी इसका हिदायत दे।
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