सब्र की दुआ | Sabr Ki Dua

हर मुसलमान की ज़िंदगी में एक इम्तिहान का घड़ी आता है — कभी ग़म, कभी नुकसान, कभी बीमारी, कभी अपनों का जुदा होना। ऐसे हालात में जो चीज़ हमें मजबूत रखती है, वो सब्र है।
सब्र करना कोई मजबूरी नहीं है, बल्कि यह एक मोमिन की पहचान है। अल्लाह तआला कुरआन में बार-बार सब्र की ताकीद करता है और वादा करता है कि:
“बेशक अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।”
(सूरह अल-बक़रह: 153)
इस आर्टिकल में हम जानेंगे, एक बहुत ही असरदार सब्र की दुआ, कुरआन और हदीस की रौशनी में सब्र की फजीलत, और वो अमल जो एक मोमिन को मुश्किल वक्त में मदद करते हैं।
सब्र की दुआ
“रब्बना अफ़रिग़ अलेना सब्रन, व सब्बित अक़दामना, वं सुरना अलल-क़ौमिल काफिरीन”
(सूरह अल-बक़रह: आयत 250)
📖 तर्जुमा:
“ऐ हमारे रब! हम पर सब्र उतार दे, हमारे कदमों को जमा दे, और हमें काफिरों की क़ौम के मुकाबले में मदद फ़रमा।”
👉 यह दुआ उस वक्त पढ़ी गई थी। जब हज़रत तालूत और उनके साथी एक बड़ी जंग के लिए निकले थे। उन्होंने अल्लाह से सब्र और हिम्मत मांगी और अल्लाह ने उन्हें कामयाबी बख्शी।
कुरआन में सब्र की फ़जीलत
कुरआन मजीद में सब्र का ज़िक्र 90 से ज़्यादा बार आया है। अल्लाह तआला ने सब्र करने वालों से कई वादे किए हैं:
1. अल्लाह सब्र करने वालों के साथ होता है
“इन्नल्लाहा मअस्साबिरीन” —
“बेशक अल्लाह सब्र करने वालों के साथ है।”
(सूरह अल-बक़रह: 153)
2. सब्र का बदला बेहिसाब मिलेगा
“इन्नमा युवफ़्फ़स्साबिरूना अज्रहुम बिघैर हिसाब”
“बेशक सब्र करने वालों को उनका बदला बिना हिसाब दिया जाएगा।”
(सूरह अज़-ज़ुमर: 10)
3. सब्र करने वालों को जन्नत की बशारत
“उलािक युजज़ौनल-गुरुफ़ा बिमा सबरू”
“ऐसे लोग ऊँचे महलों से नवाज़े जाएंगे क्योंकि उन्होंने सब्र किया।”
(सूरह अल-फ़ुरक़ान: 75)
सब्र की हदीस
रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
“मुसलमान को जो भी थकान, बीमारी, ग़म, तकलीफ़ या परेशानी आती है — यहां तक कि अगर कांटा भी चुभ जाए — तो अल्लाह उसके बदले उसके गुनाह माफ़ करता है।”
(सहीह बुखारी व मुस्लिम)
एक और हदीस में फ़रमाया:
“सब्र रौशनी है।”
(सहीह मुस्लिम)
कब पढ़ें सब्र की दुआ?
स्थिति | सब्र की ज़रूरत क्यों |
---|---|
किसी अपने का इंतिक़ाल | दिल को मजबूत रखने के लिए |
बीमारी या तंगी | हिम्मत और तवक्कुल के लिए |
इम्तेहान, रिज़्क़ की परेशानी | फैसलों में सब्र और समझ के लिए |
रिश्तों में टूट-फूट | गुस्से पर काबू पाने और सही फैसला लेने के लिए |
किसी बड़े इम्तिहान से पहले | हिम्मत, इस्तिक़ामत और अल्लाह की मदद पाने के लिए |
सब्र की इज़ाफ़ा के लिए 5 अमल
- नमाज़ को वक्त पर पढ़ें — नमाज़ दिल को ठंडक देती है
- “या सबूरु” – अल्लाह का ये नाम बार-बार पढ़ें
- कसरत से इस्तिग़फ़ार करें — “अस्तग़फिरुल्लाह”
- कुरआन की तिलावत करें और समझ — खास तौर पर सूरह यूसुफ़ और सूरह ज़ुमर
- अच्छी सोहबत में रहे — नेक लोगों के साथ रहें जो आपको सब्र की सीख दें
आख़िरी नसीहत
सब्र करने वाला कभी मायूस नहीं होता हैं। अल्लाह तआला उसकी मदद करता है, उसके दिल को सुकून देता है और आख़िरत में उसे बेपनाह अज्र देता है।
जो मोमिन सब्र करता है, वह अल्लाह का महबूब बन जाता है।
📖 “और बस सब्र करो, क्योंकि अल्लाह ने सब्र करने वालों से मुहब्बत की है।”
(सूरह आले इमरान: 146)
गुज़ारिश:
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